Story Update : Monday, December 13, 2010 12:01 AM
सीतापुर। जिले के गांजरी इलाके में रहने वाले प्रज्ञाचक्षु साहित्यकार आलोक सीतापुरी अवधी के सशक्त हस्ताक्षर हैं। इंटरमीडिएट की शिक्षा पूरी करने के बाद योगेंद्र बहादुर सिंह ‘आलोक सीतापुरी’ की आंखों की रोशनी चली गई। लेकिन इस शख्स ने जिंदगी से हार नहीं मानी। मन की आंखों से दुनिया को देखने की ताकत रखने वाले इस साहित्यकार ने इस सबके बाद भी आधा दर्जन से अधिक काव्य संग्रह लिखे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं यह प्रज्ञा चक्षु साहित्यकार वर्ष १९९० से मशाल पत्रिका का अनवरत संपादन कर रहे हैं। इसके अलावा हर वर्ष होली के मौके पर निकलने वाली गुलाल पत्रिका का भी वह संपादन कर रहे हैं।
मशाल और गुलाल दोनों ही पत्रिकाएं साहित्य प्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बनती हैं। इंटरमीडिएट की पढ़ाई के बाद प्रज्ञा चक्षु होने के बावजूद उन्होंने लाइट इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स किया। उनके द्वारा रचित गीत संग्रह ‘लोक गीतांजली’, ‘हिंदी गजलांजलि’, ‘राष्ट्र गीतांजलि’, ‘गुलाबी उर्दू गजल संग्रह’, ‘रस सागरी’ आदि का प्रकाशन भी हो चुका है।
उनकी इस साहित्य साधना के लिए उन्हें दर्जनों बार पुरस्कृत और सम्मानित किया गया। वर्ष १९९३ में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा ने उन्हें ‘भारतीय विकलांग भूषण’ अवार्ड से सम्मानित किया। इससे पूर्व वर्ष १९९२ में राज्यपाल वी सत्यनारायण द्वारा उन्हें ‘विकलांग रत्न अवार्ड’ दिया गया। विकलांगों के राष्ट्रीय स्तर के संगठन डिसेबिल्ड क्लब आफ इंडिया द्वारा १९९१ में उन्हें विकलांग श्री का अवार्ड मिला। वर्ष २००३ में इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय ने अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन के लिए उनकी जीवन शैली पर एक वृत्त चित्र का भी निर्माण किया। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने वर्ष २००६ में उन्हें विद्यावगीश की मानद उपाधि, इसी वर्ष भारती परिषद प्रयाग ने उन्हें साश्वतामृत सम्मान से सम्मानित किया। कागज पर अंकित रचनाओं व लेखों को कैसे संपादित करते हैं। इस सवाल के जवाब वह मुस्कराते हुए कहते हैं कि मेरे कुछ सहयोगी बाहर से आने वाली रचनाओं को पढ़ कर मुझे सुनाते हैं। जिसे मैं बोल-
बोल कर संपादित कराता रहता हूं। ऐसे ही मैं अपनी कविताएं भी लिखता हूं। वह बताते हैं कि कई बार मन में कोई कविता गूंजती है और उसे कागज पर उकेरने का दिल करता है लेकिन ऐसे में जब तुरंत कोई लेखक नहीं मिलता तो मन में एक टीस सी जरूर उठती है।
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Kunwar Yogendra Bahadur Singh "Alok Sitapuri"
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